दिल्ली की चांदनी चौक विधानसभा सीट से विधायक अलका लांबा ने आम आदमी पार्टी (AAP) की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने ट्वीट करके खुद इस बात की जानकारी दी है.
अलका लांबा ने ट्वीट किया, “AAP को गुड बाय कहने का समय आ गया है. पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. पिछले 6 साल में मैंने बहुत कुछ सीखा है. आप सभी का धन्यवाद.”
The time has come to say
“Good Bye” to #AAP and to resign from the primary membership of the Party.
The past 6years journey was a great learning for me.Thanks to all. 🙏🇮🇳. #JaiHind #ChandniChowk #MLA #AlkaLamba #Delhi
— Alka Lamba – अलका लाम्बा (@LambaAlka) September 6, 2019
‘…तो मेरा इस्तीफा स्वीकार करें’
अलका लांबा ने अपने इस्तीफे को लेकर एक और ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, “अरविंद केजरीवाल जी, आपके प्रवक्ताओं ने मुझे आपकी इच्छा के अनुसार पूरे अहंकार के साथ कहा कि पार्टी ट्विटर पर भी मेरा इस्तीफा स्वीकार कर लेगी. इसलिए कृपया “आम आदमी पार्टी”, जो अब “ख़ास आम आदमी पार्टी” बन चुकी है, की प्राथमिक सदस्यता से मेरा इस्तीफा स्वीकार करें.”
@ArvindKejriwal Ji, your spokespersons asked me as per your desire, with the full arrogance that the Party will accept My resgination even on the Twitter.
So pls Kindly accept My resgination from the primary membership of the
“Aam Aadmi Party”, which is now a “Khas Aadmi Party”.— Alka Lamba – अलका लाम्बा (@LambaAlka) September 6, 2019
अलका ने सोनिया गांधी से की थी मुलाकात
गौरतलब है कि अलका लांबा ने बीते मंगलवार को अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद से ही कयास लगाए जाने लगे थे कि वो आप को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो सकती हैं.
अलका पिछले कई महीनों से आप पार्टी के साथ विभिन्न मुद्दों पर भिड़ती नजर आ रही थीं. अगस्त की शुरुआत में लांबा ने कहा था कि उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने का फैसला किया है और वह एक स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगी.
इसके बाद आप ने भी कहा था कि वह उनका इस्तीफा स्वीकार करने के लिए तैयार है. हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद अलका ने आप की कड़ी आलोचना की है.
अलका ने केजरीवाल से मांगी थी जवाबदेही
अलका ने पार्टी प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से जवाबदेही मांगी थी, जिसके बाद उन्हें आप सदस्यों के आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप से हटा दिया गया था. वह पार्टी के लोकसभा अभियान में भी शामिल नहीं हुई थीं.
अगले साल की शुरुआत में राष्ट्रीय राजधानी में 70 विधानसभा क्षेत्रों के लिए चुनाव होने वाले हैं. आप ने 2015 के विधानसभा चुनावों में अप्रत्याशित जीत दर्ज करते हुए 70 में से 67 सीटें जीती थीं. वहीं 1998 से 2013 तक लगातार तीन बार दिल्ली पर शासन करने वाली कांग्रेस इस चुनाव में अपना खाता तक नहीं खोल पाई.
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